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साधय
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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extricate
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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adjudicate
Meanings: 8; in Dictionaries: 7
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disencumber
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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disentangle
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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untangle
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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decide
Meanings: 15; in Dictionaries: 5
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resolve
Meanings: 45; in Dictionaries: 8
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settle
Meanings: 51; in Dictionaries: 10
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मण्डल ६ - सूक्तं ५६
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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हनुमद्वाडवानलस्तोत्रम् - ॐ अस्य श्रीहनुमद्वाडवानलस...
हनुमान वायुपुत्र आहे, त्यामुळे त्याच्यात प्रचंड शक्ति आहे. Hanuman is son of a wind god Vayu. Hanuman is the Divine example of pure devotion and service
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हनुमत्स्तोत्रम् - ॐ अस्य श्रीहनुमद्वडवानलस्...
हनुमान वायुपुत्र आहे, त्यामुळे त्याच्यात प्रचंड शक्ति आहे. Hanuman is son of a wind god Vayu. Hanuman is the Divine example of pure devotion and service
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आचारकाण्डः - अध्यायः ३८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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अथ दत्तकवचः प्रारभ्यते - श्रीगणेशाय नमः ॥ अस्य श्र...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
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अध्याय ३१५ - ग्रन्थप्रस्तावना
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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शबरिगिरीशाष्टकम् - यजन सुपूजित योगिवरार्चित ...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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लान्गूलोपनिषत् - ॐ अस्य श्रीअनन्तघोरप्रलयज...
हनुमान वायुपुत्र आहे, त्यामुळे त्याच्यात प्रचंड शक्ति आहे. Hanuman is son of a wind god Vayu. Hanuman is the Divine example of pure devotion and service
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अथैकत्रिंशः पटलः - डाकिणीस्वरूपकथनम्
भेदिन्यादिस्तोत्रकथनम्
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प्रथमकाण्ड - २६ ते ३०
पैप्पलादसंहिता
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बगलामुखी ब्रह्मास्त्र कवचम् - कैलासाचलमधऽयगं पुरवहं शान...
रोज कवच स्तोत्राची पठण केल्याने जीवन सुरक्षित बनते.
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अध्याय १३५ - सङ्ग्रामविजयविद्या
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १३०
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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भूमिखंडः - अध्यायः ५५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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साध्
Meanings: 22; in Dictionaries: 4
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उड्डामरेश्वरतन्त्र - द्वितीयः पटलः
‘उड्डामरेश्वरतन्त्र ’ हे तंत्रशास्त्रातील अत्यंत दुर्मिल आणि गुप्त तंत्र आहे, साधक याचा उपयोग अतिशय निर्वाणीच्या क्षणी करतात.
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शिवाख्यः चतुर्थाम्शः - तृतीयोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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माङ्गल्यस्तवम् - दाल्भ्य उवाच- कार्यारंभे...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् १
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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चतुर्थः स्कन्धः - अथ त्रयोदशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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भूमिखंडः - अध्यायः २३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग ६
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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तृतीयाष्टक - षष्ठोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १५०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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एक मुखी हनुमत् कवचम् - ॥ श्रीरामदास उवाच ॥ एकदा ...
रोज कवच स्तोत्राची पठण केल्याने जीवन सुरक्षित बनते.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २५९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मुग्धोपदेश
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच, त्यातीलच एक काव्य म्हणजे जल्हण रचित मुग्धोपदेश.
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एकादशकाण्ड: - १ ते ५
पैप्पलादसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नैषधीयचरितम् - द्वितीयः सर्गः
महाकवि श्रीहर्षरचितं नैषधीयचरितम् हा ग्रंथ म्हणजे संस्कृत भाषेतील अतिउत्तम रचना होय.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २०३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः २८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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वेतालपञ्चविंशति - कथा २०
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४५७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अग्निस्थापनम
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
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मन्त्रमहोदधिः - प्रथमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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मन्त्रमहोदधि - प्रथम तरड्ग
` मन्त्रमहोदधि ' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है , जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - अष्टम तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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मन्त्रमहोदधि - त्रयोदश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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अथर्ववेदः - काण्डं १
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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कोकिलसन्देशः
उद्दण्डशास्त्रिविरचितः कोकिलसन्देशः
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